अपने निर्णयों के लिए चर्चा में रहने वाली खाप पंचायतों के लिए कुछ कड़े कदम उठाने की बात की जा रही है. इज्जत के नाम पर अंतरजातीय विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों को गांव से बाहर निकालने या मौत के घाट उतारने ( ऑनर किलिंग ) के लिए उकसाने वाली खाप पंचायतों पर लगाम कसने के लिए कानूनी आधार तैयार होने लगा है. अदालत के न्यायिमत्र ( एमाइकस यूरी ) ने खाप पंचायतों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की है.
खाप पंचायतों का चलन उत्तर भारत में ज्यादा नजर आता है. ये बहुत पुराने समय से चलता आया है. जैसे-जैसे गांव बसते गये वैसे-वैसे ऐसी रिवायतें बनती गयी हैं. रिवायती पंचायतें कई तरह की होती हैं. खाप पंचायतें भी पारंपरिक पंचायतें हैं, लेकिन इन्हें कोई आधिकारिक मान्यता प्राप्त नहीं है.
एक गोत्र या फिर बिरादरी के सभी गोत्र मिल कर खाप पंचायत बनाते हैं. ये फिर पांच गांवों या 20-25 गांवों की भी हो सकती है. मेहम बहुत बड़ी खाप पंचायत है. ऐसी और भी पंचायतें हैं. जो गोत्र जिस इलाके में ज्यादा प्रभावशाली होता है, उसी का उस खाप पंचायत में ज्यादा दबदबा होता है. कम जनसंख्या वाले गोत्र भी पंचायत में शामिल होते हैं, लेकिन प्रभावशाली गोत्र की ही खाप पंचायत में चलती है.
सभी गांव निवासियों को बैठक में बुलाया जाता है, चाहे वे आयें या न आयें. इसके बाद जो भी फैसला लिया जाता है, उसे सर्वसम्मित से लिया गया फैसला बताया जाता है और ये सभी पर बाध्य होता है.
सबसे पहली खाप पंचायतें जाटों की थीं. हाल- फिलहाल में खाप पंचायतों का प्रभाव और महत्व घटा है, क्योंकि ये पारंपरिक पंचायतें हैं और संविधान के मुताबिक अब निर्वाचित पंचायतें आ गयी हैं. खाप पंचायत का नेतृत्व गांव के बुजुर्गो और प्रभावशाली लोगों के पास होता है. खाप पंचायतों में प्रभावशाली लोगों का दबदबा रहता है.
इसमें औरतें इसमें शामिल नहीं होती हैं, न उनका प्रतिनिधि होता है. ये केवल पुरुषों की पंचायत होती है और वही फैसले लेते हैं. इसी तरह इनमें दलित या तो मौजूद ही नहीं होते और यदि होते भी हैं तो वे स्वतंत्र तौर पर अपनी बात नहीं रख सकते. युवा वर्ग को भी खाप पंचायत की बैठकों में बोलने का हक नहीं होता
खाप पंचायत का फरमान, जींस नहीं पहनेंगी लड़कियां
28-07-12
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में खाप पंचायत के फैसले के बाद अब शामली के लिलोन गांव में एक पंचायत ने अपना फरमान सुनाते हुए लड़कियों के जींस और टॉप पहनकर बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी है।
लिलोन गांव में शनिवार को हुई इस पंचायत में आसपास के आठ गांवों के 36 बिरादरियों के लोग शामिल हुए। पंचायत में यह फैसला किया गया कि लड़कियों को छेड़छाड़ की घटनाओं से बचाने के लिए उनके पहनावे पर पाबंदी लगाई जाए।
पंचायत ने फरमान जारी किया कि आसपास के आठ गांवों की लड़कियां जींस और टॉप पहनकर बाहर नहीं जा सकती और न ही अपने साथ मोबाइल रख सकती हैं।
पंचायत में इस बात पर भी सहमति जतायी गयी कि यदि किसी घर की लड़की पंचायत के निर्देशों का उल्लंघन करती है तो उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाएगा।
पंचायत ने लड़कियों के पहनावे पर नजर रखने के लिए जगह-जगह लोगों को तैनात किया है, जो इसकी जानकारी देंगे।
इस सम्बंध में जब जिले के प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने फिलहाल कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
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